सुगंधसय

पिशी अबोली's picture
पिशी अबोली in जे न देखे रवी...
2 Oct 2016 - 1:36 am

चाहूल चाहूल,
सोनचाफा,
मंद पाऊल,
बकुळीला;
तीट काजळीला,
साजिरा प्राजक्त,
आणि वाटेवर,
आकाशमोगरा.
त्याचा निवारा,
चांदण्यात..
सुगंधसय,
पाझरे मनात-
गेली अत्तरे,
कधीची उडून..

कविता

प्रतिक्रिया

रेवती's picture

2 Oct 2016 - 4:44 am | रेवती

नाजूक कविता आवडली.

सुगंधी कवीता आवडली.

यशोधरा's picture

2 Oct 2016 - 9:38 am | यशोधरा

वा!

सुगंधित, अल्पाक्षरी कविता. बरीच सूचक. आवडली.

प्रीत-मोहर's picture

2 Oct 2016 - 11:56 am | प्रीत-मोहर

वा!! आवडलीच कविता.

पद्मावति's picture

2 Oct 2016 - 2:16 pm | पद्मावति

मस्तं!

पिशी अबोली's picture

2 Oct 2016 - 9:26 pm | पिशी अबोली

धन्यवाद!

चांदणे संदीप's picture

2 Oct 2016 - 11:13 pm | चांदणे संदीप

क्या बात है!

सुरेख कविता! कविताही मनात पाझरून गेली!

Sandy

अभ्या..'s picture

2 Oct 2016 - 11:48 pm | अभ्या..

छानंय कविता.
सुगंधसय शब्द आवडला.

मिसळलेला काव्यप्रेमी's picture

3 Oct 2016 - 12:36 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी

सुंदर

पथिक's picture

3 Oct 2016 - 4:52 pm | पथिक

वाह.. नाजूक.. सुंदर..

एक नज़्म
ख़ुशबू के झौंके जैसी

शिव कन्या's picture

3 Oct 2016 - 10:20 pm | शिव कन्या

सुगंध पोहचला!

रातराणी's picture

3 Oct 2016 - 10:39 pm | रातराणी

मस्त कविता!

पिशी अबोली's picture

4 Oct 2016 - 1:31 am | पिशी अबोली

सर्व दिग्गजांना धन्यवाद! तुम्ही नोंद घेतली याचाच मोठा आनंद वाटला.. :)

पिलीयन रायडर's picture

4 Oct 2016 - 1:33 am | पिलीयन रायडर

सुंदरच!

सस्नेह's picture

4 Oct 2016 - 9:24 am | सस्नेह

वरच्या सगळ्यांना..