आई

कहर's picture
कहर in जे न देखे रवी...
15 May 2014 - 10:14 am

आकाश उतरता खाली
अस्तित्व नष्ट कराया
मी हळूच पांघरून घेतो
आईची हळवी माया

ती पैलावरती माया
ऐलावर होते रात
ठेवता उशीवर डोके
केसातून फिरतो हात

का डोळ्यामध्ये आसू
का अंतर्मन व्याकूळ
गगनात भारली प्रतिमा
अस्पष्ट करतसे धूळ

झाकल्या पदराखाली
आयुष्याचे कोंदण
आईच्या हातावरती
एक पिंडीचे गोंदण

हातात चंद्र धरून
स्वप्नात भेटते आई
घेऊन कुशीत मजला
गाते अजूनही अंगाई

कविता

प्रतिक्रिया

स्पंदना's picture

15 May 2014 - 10:44 am | स्पंदना

सुरेख!

चाणक्य's picture

15 May 2014 - 11:06 am | चाणक्य

मस्त झालीये कविता...

यशोधरा's picture

15 May 2014 - 1:12 pm | यशोधरा

सुरेख!

मिसळलेला काव्यप्रेमी's picture

15 May 2014 - 2:18 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी

सुंदर

मदनबाण's picture

15 May 2014 - 9:17 pm | मदनबाण

मस्त !

पैसा's picture

15 May 2014 - 9:32 pm | पैसा

कविता आवडली.

अत्रुप्त आत्मा's picture

16 May 2014 - 12:26 am | अत्रुप्त आत्मा

__/\__

पाषाणभेद's picture

16 May 2014 - 9:05 am | पाषाणभेद

सुंदर काव्य

प्यारे१'s picture

16 May 2014 - 10:53 am | प्यारे१

कहर- सुंदर कविता :)