इलाज करवाते हम वही से...
जहा जख्म होते है दवाई के लिए
जहां पल गुजरे बिना घडी के,
जहां हो थोडीसी जमी थोडा आसमां,
जहां चाँद पोहोचे बिना इजाजत के,
जहां हो मुसाफिर का ठिकाना,
जहां आए जाने वाला पल पलट के,
जहां दो दीवाने एक शेहर मे,
जहां सजते है सपने सात रंग के,
जहां पहचान होती है आवाज से,
जहां अरमां हो पुरे दिल के,
जहां सपनों में दिखे सपने,
जहां रात हो ख़्वाबों की,
जहां गले लागए झिंदगी,
जहां ना हो कोई शिकवा झिंदगी से,
जहां नाराज ना हो झिंदगी ,
जहां हैरान ना हो झिंदगी,
इलाज करवाते हम वही से...
जहां जख्म होते है दवाई के लिए
दवाई-ऐ-गुलजार!
#सशुश्रीके
प्रतिक्रिया
17 Mar 2016 - 2:59 pm | चांदणे संदीप
चांगलं आहे!
झिंदगी वाचून हस्लो! :)
Sandy
17 Mar 2016 - 4:48 pm | महासंग्राम
तसं पाहिलं तर मिपा वर हिंदी कविता आली कि इथली मंडळी आक्षेप घेतात
पण
वर लिहिलीत तेव्हा सौ खून माफ
हे भारी झालं आहे.
28 Mar 2016 - 5:14 pm | चांदणे संदीप
९९ उरले! ;)
28 Mar 2016 - 7:06 pm | जव्हेरगंज
ख्खिक्क!