ज‌र‌तारी

शिवोऽहम्'s picture
शिवोऽहम् in जे न देखे रवी...
16 May 2017 - 7:56 am

घ‌न‌ नीळ आर्त दु:खाचा उग‌व‌ला जीर्ण आभाळी
डोहात‌ कालिया डोले ज‌ल‌ ग‌र्द‌ दाट‌ शेवाळी

क्ष‌ण‌ दीर्घ‌ खोल‌ विव‌रातिल‌ अंधार‌युगाचा साक्षी
निस्तेज‌ होत‌ न‌क्ष‌त्रे स्व‌र‌ म‌ंद्र‌ मार‌वा प‌क्षी

र‌ंध्रात‌ काळीमा झ‌र‌ता आळ‌वी अनामिक‌ कोणी
मृग‌तृष्णा अंत‌र्यामी ज‌र‌तारी चिर‌विर‌हीणी

उन्मुक्त‌ विषातिल‌ ग‌हिरे ते शीत‌ल‌ म‌ंद‌ उखाणे
मुर‌लीने भुल‌ता कान्हा अश्व‌त्थ‌ गात‌से गाणे

कला

प्रतिक्रिया

पैसा's picture

16 May 2017 - 11:25 pm | पैसा

सुंदर कविता. आवडली.

शिवोऽहम्'s picture

17 May 2017 - 9:28 am | शिवोऽहम्

धन्यवाद!

प्राची अश्विनी's picture

20 May 2017 - 10:18 am | प्राची अश्विनी

क्या बात!

प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे's picture

27 May 2017 - 12:34 pm | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे

लिहित राहा. छान.

-दिलीप बिरुटे

पिशी अबोली's picture

27 May 2017 - 12:52 pm | पिशी अबोली

सुंदर! आवडली.

किसन शिंदे's picture

27 May 2017 - 12:57 pm | किसन शिंदे

कविता आवडली, पण समजली नाही. काहीतरी अतर्क्य वाचतोय असं वाटलं.