शहरभर दंगलीचा वणवा पेटला होता.
त्या रात्री तो कसाबसा जीव मुठीत धरून घरी जायचा प्रयत्नात होता. रस्त्यावरून एक सशस्त्र घोळका त्याच्या दिशेने आरोळ्या देत येताना दिसला, ते लाल गुंजासारखे डोळे त्याच्यावर रोखले गेले आणि गळ्यामधल्या लॉकेटकडे नजर जाताच तो बोलला,"अपना है ,साथ आयेगा ?" , 'नाही' म्हणताच तिरस्काराची पिंक टाकून ते पुढचा सावज शोधू लागले .सहज म्हणून घातलेल्या त्या लॉकेटचे तो हजारवेळा चुंबन घेत होता,जन्मताच मारलेले शिक्के आज कामी आले. आपल्याकडे असलेल्या इतर खुणासुद्धा सहज दिसतील अशा ठेवल्या आणि २ गल्ली सोडून स्टेशनकडे वळला आणि अचानक समोर आलेल्या जमावाकडे बघताच त्याचे पाय थिजले आणि वेगाने तो शरीरावरच्या खुणा मिटवू लागला
प्रतिक्रिया
14 Aug 2015 - 3:39 pm | पगला गजोधर
बॉम्बे चित्रपट आठवला ....
14 Aug 2015 - 9:24 pm | अत्रुप्त आत्मा
@बॉम्बे चित्रपट आठवला ...>> अगदी हेच मनात येत होतं वाचता वाचता
+१
14 Aug 2015 - 3:49 pm | नाव आडनाव
+१
14 Aug 2015 - 3:52 pm | मधुरा देशपांडे
+१
14 Aug 2015 - 4:32 pm | अविनाश पांढरकर
+१
14 Aug 2015 - 4:59 pm | नीलमोहर
+१
14 Aug 2015 - 5:10 pm | बबन ताम्बे
+१
14 Aug 2015 - 5:21 pm | पैसा
+१
14 Aug 2015 - 5:22 pm | तुषार काळभोर
दुसर्या जमावाचा दुसरा भाग....
14 Aug 2015 - 5:39 pm | आदूबाळ
+१
14 Aug 2015 - 5:41 pm | प्यारे१
+१११
क्रांतिवीर आठवला.
14 Aug 2015 - 6:24 pm | मृत्युन्जय
+१
खासच
14 Aug 2015 - 6:26 pm | पद्मावति
+१
14 Aug 2015 - 6:34 pm | gogglya
+१
14 Aug 2015 - 7:39 pm | सौंदाळा
+१
असिफ - अनंत सिताराम फडकेचा चावट जोक आठवला ;)
14 Aug 2015 - 7:42 pm | किसन शिंदे
+१
14 Aug 2015 - 9:02 pm | अंतु बर्वा
+१
14 Aug 2015 - 9:13 pm | तीरूपुत्र
आवडली...+१
14 Aug 2015 - 9:17 pm | जडभरत
+१
14 Aug 2015 - 9:42 pm | सौन्दर्य
+१ वास्तववादी चित्रण.
15 Aug 2015 - 1:07 am | उगा काहितरीच
+१
15 Aug 2015 - 9:00 am | नूतन सावंत
+१
15 Aug 2015 - 9:25 am | देशपांडे विनायक
+१
15 Aug 2015 - 10:17 pm | जयनीत
+1
15 Aug 2015 - 10:32 pm | अन्या दातार
+१