"किती हळू चालवतोस रे. मागचे सगळे गेले पुढे"
"जाऊ दे गं. एकतर पावसामुळे रस्ता निसरडा झालाय"
"किती घाबरतोस रे जीवाला. लग्नाआधी किती बिनधास्त होतास"
"ती गोष्ट वेगळी होती. जबाबदारी नव्हती. आता तू आहेस. पिलू आहे. तुला सांगतो पिलू झाल्यापासून गाडी कधी ४०-५०च्या पुढे न्यावीशी वाटतच नाही. जरा वेग वाढला की ती येते डोळ्यासमोर आणि आपोआप ब्रेकवर पाय जातो"
"किती जपतो जीवाला. पण अंधार पडायच्या आत पोचायचे ना. पिलू वाट पहातीये. आता तर पाउस पण वाढायलाय. केवढा आवाज येतोय"
"हं.. पण हा पाउस नाही. कसलेतरी बारीक दगड आणि माती पडतीये काचेवर"
"गाडी थांबवून बघ जरा"
.
.
.
** काल घाटात चारचाकीवर दरड कोसळून दोनजण ठार**
प्रतिक्रिया
5 Aug 2015 - 10:32 am | असा मी असामी
+१
5 Aug 2015 - 10:37 am | चिनार
+१
5 Aug 2015 - 10:40 am | टवाळ कार्टा
+१
5 Aug 2015 - 10:40 am | मृत्युन्जय
+१ तरी कसे म्हणु?/
पण शशक माध्यामासाठी एक सशक्त कथा
5 Aug 2015 - 12:22 pm | एस
+१.
6 Aug 2015 - 9:41 pm | उगा काहितरीच
+१
5 Aug 2015 - 10:41 am | जडभरत
अर्र!
+१
5 Aug 2015 - 12:01 pm | सोनल परब
+१
5 Aug 2015 - 12:05 pm | सनईचौघडा
+१
5 Aug 2015 - 12:05 pm | अविनाश पांढरकर
+१
5 Aug 2015 - 12:05 pm | सौंदाळा
+१
5 Aug 2015 - 12:12 pm | चिगो
कथा म्हणून +१, घटना म्हणून -१..
6 Aug 2015 - 5:24 am | अन्या दातार
+१
6 Aug 2015 - 10:22 am | नाखु
सहमतीला तीव्र सहमती
5 Aug 2015 - 12:13 pm | प्यारे१
+१
5 Aug 2015 - 12:24 pm | डॉ सुहास म्हात्रे
+१ आणि :(
5 Aug 2015 - 1:01 pm | मी-सौरभ
...
5 Aug 2015 - 1:03 pm | gogglya
अशा कथेला छान ही म्हणवत नाही आणी आवडली नाही असेही म्हणता येत नाही...
5 Aug 2015 - 1:07 pm | अनिता ठाकूर
+१
5 Aug 2015 - 1:50 pm | पाटील हो
+१
5 Aug 2015 - 11:26 pm | रेवती
+१.
5 Aug 2015 - 11:27 pm | माम्लेदारचा पन्खा
सीक्वेल काय असेल ह्याची उत्सुकता आहे !!
5 Aug 2015 - 11:55 pm | अनन्त अवधुत
+१
6 Aug 2015 - 12:17 am | राघवेंद्र
सीक्वेल Sixth Sense सारखा असेल.
6 Aug 2015 - 12:22 am | स्रुजा
+१ :(
6 Aug 2015 - 12:41 am | पिलीयन रायडर
+१
6 Aug 2015 - 7:18 am | कॅप्टन जॅक स्पॅरो
+१ कथा आवडली आणि कंटेंट मात्र अंगावर आला. नुकतेचं खंडाळा घाटामधले अतिउत्साही मंडळींनी व्हॉट्स अॅपवर फॉरवर्ड केलेले फोटो आठवले :(
6 Aug 2015 - 7:22 am | अजया
+१ :(
6 Aug 2015 - 8:30 am | प्रीत-मोहर
+१
6 Aug 2015 - 8:42 am | ब़जरबट्टू
+1
6 Aug 2015 - 10:20 am | तुषार काळभोर
उत्तम कथा!
सीक्वेलच्या प्रतिक्षेत
6 Aug 2015 - 10:28 am | जिन्गल बेल
+१
:(
6 Aug 2015 - 10:43 am | भुमन्यु
+१
6 Aug 2015 - 2:23 pm | तुमचा अभिषेक
+१
6 Aug 2015 - 2:44 pm | निमिष सोनार
दुर्दैवी अंत पण कथा म्हणून छान!
6 Aug 2015 - 4:16 pm | सानिकास्वप्निल
:(
कथेसाठी +१
6 Aug 2015 - 6:55 pm | जगप्रवासी
+१
अवांतर : मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे वर झालेला अपघात आठवला. आम्ही थोडे पुढे गेलो आणि त्या गाडीवर दरड कोसळली होती. कथा वाचताना अंगावर काटा आला
6 Aug 2015 - 9:17 pm | टुंड्रा
+१
7 Aug 2015 - 8:18 am | मुक्त विहारि
+१
7 Aug 2015 - 1:15 pm | माधुरी विनायक
+१
7 Aug 2015 - 1:20 pm | मधुरा देशपांडे
+१
7 Aug 2015 - 1:21 pm | मितान
+१
7 Aug 2015 - 9:03 pm | बहिरुपी
+१
8 Aug 2015 - 10:19 am | नूतन सावंत
:(
कथा +१
8 Aug 2015 - 10:21 am | पैसा
+१
:(
8 Aug 2015 - 6:13 pm | एक एकटा एकटाच
+१
8 Aug 2015 - 9:51 pm | पियुशा
+१
9 Aug 2015 - 11:33 am | तीरूपुत्र
+१
9 Aug 2015 - 12:11 pm | इशा१२३
+१