सहा महिन्यापासून पोटाचा त्रास सुरु होताच पण बाईची जात नि मधलं वय म्हणून सोडून दिलं होतं.
चुकीचं पडलेलं दान, नशीबानं आयुष्यभर दिलेला त्रास नि जीवनसाथी म्हणवणाराची कसलीच नसलेली साथ. १५ वर्षात ना प्रेमाचा शब्द ना एखादी शाबासकीची थाप जगण्यात काय रस वाटायचा?
माहेरचे लोक ओरडतात म्हणून गेल्या महिन्यात दवाखान्यात दाखवलं.
हीमोग्लोबिन कमी + कसल्याशा पेशी खूप जास्त म्हणालेत. गोळ्या सुरु केल्या त्याचा साईड इफेक्ट म्हणून पोटाचा त्रास. मग सलाईन लावायचं ठरलं. ते सुरु होतंच तोवर मागच्या आठवड्यात ओटीपोटात जीवघेणी कळ आली.... टेस्ट केल्या.
आज रिपोर्ट आलेत. खूप हलकं वाटतंय.
शिकणार्या मुलाची तजवीज लागली की झालं.
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ब्लड कॅन्सर आहे. अॅड्व्हान्स्ड स्टेजचा. आटपेल लवकरच.
प्रतिक्रिया
4 Aug 2015 - 9:16 pm | जडभरत
+१
4 Aug 2015 - 9:17 pm | अत्रुप्त आत्मा
आई ग्गं! :-(
4 Aug 2015 - 9:42 pm | चिगो
+१ कथेसाठी..
4 Aug 2015 - 11:30 pm | शलभ
+१
4 Aug 2015 - 11:31 pm | एस
+१!
4 Aug 2015 - 11:32 pm | बहुगुणी
(अवांतरः व्य नि पाठवला आहे)
5 Aug 2015 - 12:05 am | प्यारे१
व्यनि बद्दल आभारी आहे. दुरुस्ती करतो.
4 Aug 2015 - 11:43 pm | चलत मुसाफिर
+१
5 Aug 2015 - 12:00 am | टवाळ कार्टा
+१
5 Aug 2015 - 12:44 am | टिवटिव
+१
5 Aug 2015 - 6:45 am | मुक्त विहारि
+१
5 Aug 2015 - 9:27 am | नाखु
....................... फक्त
5 Aug 2015 - 9:43 am | ज्ञानोबाचे पैजार
+१
5 Aug 2015 - 9:46 am | नाव आडनाव
+१
5 Aug 2015 - 9:50 am | पाटील हो
+१
5 Aug 2015 - 9:53 am | प्रचेतस
+१
5 Aug 2015 - 10:37 am | असा मी असामी
+१
5 Aug 2015 - 12:04 pm | अविनाश पांढरकर
+१
5 Aug 2015 - 12:14 pm | द-बाहुबली
इंप्रोवायजेशनला जागा आहे.
5 Aug 2015 - 1:08 pm | gogglya
+१
5 Aug 2015 - 1:51 pm | ब़जरबट्टू
आवडली.
पण शीर्षक व पहिली ओळ वाचूनच बरा न होणारा रोग असेल ते समजले.. त्यामुळे शशक ची उत्सूकता ताणल्या गेली नाही.. :).
स्वगत :- शेवटच्या ओळॆपर्तन्त ताणणे हा पण शशकचा भागच झाला का काय ?
5 Aug 2015 - 11:17 pm | प्यारे१
सिक्वेल आहे ;)
6 Aug 2015 - 11:59 am | प्रसाद गोडबोले
+१ कथा आवडली नाही पण सिक्वेल आहे म्हणता तर
मग सिक्वेलच्या प्रतिक्षेत !
5 Aug 2015 - 11:16 pm | माम्लेदारचा पन्खा
अशी सुटका नको हो...
6 Aug 2015 - 5:58 am | आगाऊ म्हादया......
+१
6 Aug 2015 - 9:23 am | बोका-ए-आझम
+१
6 Aug 2015 - 9:25 am | dadadarekar
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6 Aug 2015 - 12:03 pm | मी-सौरभ
...
6 Aug 2015 - 2:07 pm | तुमचा अभिषेक
सिक्वेलच्या प्रतीक्षेत,
मात्र स्वतंत्र कथा म्हणून ही तितकीशी परीपूर्ण वाटत नाही.
6 Aug 2015 - 2:34 pm | खटपट्या
+१
6 Aug 2015 - 2:57 pm | निमिष सोनार
शोकांतिका
6 Aug 2015 - 7:15 pm | प्राची अश्विनी
+१
6 Aug 2015 - 9:15 pm | उगा काहितरीच
+१ कथा म्हणून ठिकाय , पण असं नसतं , इतकं निराशावादी पात्र का उभं केलं आहे ?
6 Aug 2015 - 9:22 pm | प्यारे१
असो!
अनुभव नाही तेच चांगलं आहे. :)
7 Aug 2015 - 12:49 pm | पैसा
+१
7 Aug 2015 - 1:42 pm | जगप्रवासी
+१
7 Aug 2015 - 1:47 pm | अभ्या..
+१
नको रे देत जाऊस असले काही. :(
7 Aug 2015 - 9:17 pm | बहिरुपी
+१
8 Aug 2015 - 9:48 am | नूतन सावंत
जीवनात काही अतिजवळच्या व्यक्तींना या रोगाने गमावून बसलेय.
+१
9 Aug 2015 - 1:18 am | सुहास झेले
+ १
9 Aug 2015 - 2:39 pm | तीरूपुत्र
+१