पेरणा :- प्राची ताईची अबोला..
http://misalpav.com/node/50707#comment-1153556
ढबोला...
तुझ्या ढबोल्या भावाने
सोडला मागे भस्मासूर
जीव झाला वेडापिसा
त्याचा पाहुनिया नूर
तुझ्या ढबोल्या भावाने
कशी ओरपली नळी?
उरे हडकांचा ढीग
रस्साजाई खोल तळी
तुझ्या ढबोल्या भावाने
किती भाकरी हादडल्या..
अगं वेडे भातही
आता आला नं संपाया!
तुझ्या ढबोल्या भावापुढे
मी सपशेल शरण,
बघावे तेव्हा तेव्हा
याचे चालूच चरणं !
(“चरणं” मधला “च” हा चरख्यातला “च” आहे याच्री कृपया नोंद घ्यावी)
पैजारबुवा,
प्रतिक्रिया
21 Sep 2022 - 10:36 am | कर्नलतपस्वी
मस्तच.
21 Sep 2022 - 10:38 am | कर्नलतपस्वी
ण वर टिबं दिले असते तरी ट्युब भक्कन पेटली असती.
21 Sep 2022 - 2:25 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
लोकाग्रहास्तव बदल केला आहे
पैजारबुवा,
21 Sep 2022 - 10:45 am | कंजूस
चावलेतला “च” हा चरख्यातला, चरणातला 'च'नाही.
21 Sep 2022 - 11:52 am | खेडूत
चरणं जाऊदेत..
चरण कुठेत आपले माऊली!!
:)
21 Sep 2022 - 1:16 pm | श्वेता२४
तुमचे विडंबन वाचणार नाही. ठसका लागला ना....हहपुवा. ढबोल्या हा शब्द आवडला...
21 Sep 2022 - 2:46 pm | Bhakti
कहर!!
21 Sep 2022 - 4:04 pm | रंगीला रतन
ख्या ख्या ख्या :=)
21 Sep 2022 - 6:25 pm | प्रसाद गोडबोले
अं हं ...
बात कुछ जमी नहीं पैजारबुवा
: -|
21 Sep 2022 - 6:38 pm | श्रीगुरुजी
फारच भारी! ढबोला विशेषण आवडल्या गेले आहे.
21 Sep 2022 - 7:11 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी
कुठल्याही चांगल्या कवितेची वाट लावयलाच हवी का रे भल्या माणसा??
;)
22 Sep 2022 - 9:03 am | प्रचेतस
हा तर षट्कार =))
22 Sep 2022 - 11:23 am | अथांग आकाश
भारिये विडंबन!!!
22 Sep 2022 - 5:39 pm | प्राची अश्विनी
भारी विडंबन.:)
22 Sep 2022 - 7:18 pm | चांदणे संदीप
पैजारबुवा, घरी ही कविता वाचली गेली तर??
सं - दी - प
23 Sep 2022 - 9:36 am | सस्नेह
ढबोला शब्दाने कोषात मोलाची भर घातली आहे.
विडंबन फर्मास !
23 Sep 2022 - 1:02 pm | चौथा कोनाडा
लै भारी जमेश !
हा .... हा .... हा .... !
तुल्यबळ टू ओरिजनल !
23 Sep 2022 - 6:14 pm | पाषाणभेद
छान
23 Sep 2022 - 8:40 pm | तुषार काळभोर
बट आय डोन्ट अंडरस्टॅण्ड द टॅग्ज..
काणकोण
कोडाईकनाल
गरम पाण्याचे कुंड
भूछत्री
रौद्ररसइंदुरी
कृष्णमुर्ती ????
26 Sep 2022 - 3:05 pm | श्वेता व्यास
हहपुवा :D
26 Sep 2022 - 3:08 pm | श्वेता व्यास
फर्मास विडंबन. माझ्यासारख्या "जे न देखे रवी..." या विभागात न फिरकणाऱ्या लोकांना फक्त विडंबन वाचण्यासाठी तुम्ही यायला लावता, आणि मग पेरणा अर्थातच वाचला जातो त्याबद्दल धन्यवाद.