विठुराया....
तुझ्या प्रेमामृताच्या वर्षावात नित्य न्हाऊनही,
कोरडीच राहिली काया....
मन विषयी गुंतले निरंतर,
सोडवेना कधी माया...
क्षणामागून क्षण संपले,
जीवन जातसे वाया...
पश्चात्तापे मन तप्त,
लाभो तुझी छाया...
आता लागो तुझे ध्यान,
पडतसे मी पाया...
नको दूर लोटूस मजला,
विनविते तुज विठुराया...!!
जयगंधा..
९-११-२०१४.
प्रतिक्रिया
20 Jul 2021 - 9:10 am | बाजीगर
एकादशीची पहाट
विठ्ठलाकडे पाठ
मुख्यमंत्र्यासह आठ
फोटोसाठी
रांगेत उभे वारकरी
अडाणी कुणी शेतकरी
भवसागर पारकरी
तासंतास
विठ्ठला पाऊस पाड
कोरोना जाऊस धाड
मनात खाऊस वाढ
हे साकडे
किती वर्षे देवा
राहशील मूक,
म्हणे बाजीगर
जन्मोजन्मी चूक,
दर्शनानेच मात्र
भागवी-भक्त भूक !!
20 Jul 2021 - 9:37 am | गुल्लू दादा
बाजीगर जिंकलत. धन्यवाद.
20 Jul 2021 - 10:06 am | Bhakti
_/\_
20 Jul 2021 - 1:54 pm | गॉडजिला
बहोत खूब...
_/\_
20 Jul 2021 - 9:49 pm | Jayagandha Bhat...
फारच सुंदर..!!!!
20 Jul 2021 - 2:00 pm | गॉडजिला
सुरेख
22 Jul 2021 - 2:03 pm | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे
लिहिते राहा...!
-दिलीप बिरुटे
29 Jul 2021 - 10:14 pm | Jayagandha Bhat...
29 Jul 2021 - 10:15 pm | Jayagandha Bhat...
29 Jul 2021 - 10:15 pm | Jayagandha Bhat...
29 Jul 2021 - 10:15 pm | Jayagandha Bhat...