खंत

पद्मश्री चित्रे's picture
पद्मश्री चित्रे in दिवाळी अंक
27 Oct 2013 - 7:52 am

मैफिली सजल्या तुझ्या पण
मी तिथे वळलोच नाही
चांदणे खुणवीत होते
चंद्र मी झालोच नाही

वेदना त्या जीवघेण्या
क्षीण ना कण्हलो कधी
वार तू केले जिव्हारी
मी तरी हरलोच नाही

भोवताली गाव सारे
मी तरीही एकटा
तुटलो तुजसाठी असा की
मी पुन्हा वसलोच नाही

सागराच्या मी किनारी
दूर तू क्षितिजाकडे
हरवूनी बसलो तुला अन
मी मला दिसलोच नाही

उध्वस्त मी झालो तरीही
दु:ख ना त्याचे मला
खंत ही की मी तुला
किंचितही कळलोच नाही

दिवाळी अंक २०१३

प्रतिक्रिया

मिसळलेला काव्यप्रेमी's picture

1 Nov 2013 - 3:07 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी

एक एक शेर जीवघेणा...
संपूर्ण रचना भन्नाट..
फुलवातै __/\__!!

डॉ सुहास म्हात्रे's picture

1 Nov 2013 - 10:54 pm | डॉ सुहास म्हात्रे

केवळ सुंदर ! बस !!

पैसा's picture

2 Nov 2013 - 12:59 am | पैसा

फारच छान रचना!

मुक्त विहारि's picture

2 Nov 2013 - 9:17 am | मुक्त विहारि

"उध्वस्त मी झालो तरीही
दु:ख ना त्याचे मला
खंत ही की मी तुला
किंचितही कळलोच नाही"

हे तर निव्वळ अप्रतिम...

प्रभाकर पेठकर's picture

2 Nov 2013 - 12:50 pm | प्रभाकर पेठकर

>>खंत ही की मी तुला
किंचितही कळलोच नाही
<<

उत्तुंग..!

प्यारे१'s picture

2 Nov 2013 - 6:14 pm | प्यारे१

टोपी काढलेली आहे.

सलाम.

अनिता ठाकूर's picture

3 Nov 2013 - 6:52 pm | अनिता ठाकूर

थोड्या शब्दांत इतके थेट व्यक्त होणं.......भिडलं मनाला!

कवितानागेश's picture

3 Nov 2013 - 7:25 pm | कवितानागेश

फारच सुंदर रचना. आवडली.

अनन्न्या's picture

4 Nov 2013 - 5:32 pm | अनन्न्या

इतकी सुंदर रचना, वाचायची कशी काय राहिली!

इन्दुसुता's picture

6 Nov 2013 - 5:51 am | इन्दुसुता

उत्कृष्ट रचना .... फार आवडली.
क्रान्ति यांच्या कवितांची आठवण झाली.

स्पंदना's picture

11 Nov 2013 - 6:45 am | स्पंदना

___/\___!!

एस's picture

12 Nov 2013 - 11:57 pm | एस

___/\___

चित्रगुप्त's picture

17 Nov 2013 - 1:25 pm | चित्रगुप्त

मस्त सुंदर कविता.

मिनेश's picture

19 Nov 2013 - 2:07 pm | मिनेश

अप्रतिम कविता.......

रेवती's picture

2 Dec 2013 - 11:25 pm | रेवती

सुरेख!

उत्खनक's picture

29 May 2015 - 9:15 pm | उत्खनक

अतिशय उत्कट रचना!
अप्रतीम! :-)

बरेच वाचायचे राहून गेलेले चांगले लेख/ कविता वरती येताहेत, धन्यवाद! ही कविताही आवडली.

अवांतरः 'पद्मश्री चित्रे' म्हणजेच 'फुलवा' हे आताच कळतंय. तसं असेल तर 'फुलवा' यांच्या कविता आधीही आवडल्या होत्या.

नूतन सावंत's picture

31 May 2015 - 3:16 pm | नूतन सावंत

सुर्रेखच.