गुरू

अनन्त्_यात्री's picture
अनन्त्_यात्री in जे न देखे रवी...
24 Jul 2018 - 7:56 pm

कठिण,गहन,भेदक प्रश्नांचे
चिंतन ज्यांना मोहविते
त्यांच्या प्रतिभेची प्रत्यंचा
इंद्रधनूसही वाकविते

जटिल समस्या त्यांच्या हाती
पडता सरळ,सुलभ होते
विभिन्न अस्फुट पैलूंमधले
नाते अलगद उलगडते

आदिम अनघड पत्थरातही
सुबक शिल्प त्यांना दिसते
केवळ प्रज्ञा-स्पर्शे त्यांच्या
हीणाचे सोने बनते

माझी कविताकविता

प्रतिक्रिया

खिलजि's picture

24 Jul 2018 - 8:05 pm | खिलजि

व्वा यात्री साहेब , बर्याच दिवसांनी आगमन झालेले आहे . सुंदर कविता आहे .

अनन्त्_यात्री's picture

26 Jul 2018 - 3:38 pm | अनन्त्_यात्री

धन्यवाद!

पद्मावति's picture

25 Jul 2018 - 1:58 pm | पद्मावति

सुरेख!

मनमेघ's picture

26 Jul 2018 - 7:52 am | मनमेघ
मनमेघ's picture

26 Jul 2018 - 7:52 am | मनमेघ
मनमेघ's picture

26 Jul 2018 - 7:52 am | मनमेघ

सुरेख कविता

अनन्त्_यात्री's picture

27 Jul 2018 - 8:31 pm | अनन्त्_यात्री

देणार्‍या सर्वांना धन्यवाद.