उडालेला धुराळा
चोळलेले डोळे
फिरत्या मोटारी
बसलेले आवाज
फुटलेल्या बाटल्या
कापलेली बोकडं
व्हडाचढ़
चढ़ाओढ़
सरकलेली बंडलं
बोटावरचि शाई
त्याच्यावरचि गणितं
उधाळलेला गुलाल
मोठालि हारं
अंधुक भाषणं
विरलेले शब्द
रखरखती माती
उधड़लेलं काळीज
बंगल्यावरच्या खेटा
प्रतिक्रिया
3 Nov 2015 - 9:14 am | जातवेद
=)
3 Nov 2015 - 9:16 am | बिन्नी
एवढं निराश करणारं असतं का सगळं ?
3 Nov 2015 - 9:45 am | प्रीत-मोहर
आम्हाला हा कार्यकर्ता वाटला.
3 Nov 2015 - 10:28 am | चांदणे संदीप
हे दोन्ही म्हणजे सेमच ना?
3 Nov 2015 - 10:44 am | याॅर्कर
जबराट
4 Nov 2015 - 11:11 am | विशाल कुलकर्णी
कार्यकर्ता....
एक रुप असंही...
दादा म्हनले
आंदोलन करा
आमी बशी जाळ्ळ्या…
दादा म्हनले
चळवळ करा
आमी दुकानं फोळ्ळी…
दादा म्हनले
सत्याग्रेव करा
आमी फॅक्टरी बंद पाळ्ळी…
दादा म्हनले
त्यो लै बोलतुया
तेची जीभ तोळ्ळी …
दादा म्हनले
आमी दिल्लीला चाल्लो
आता वो………….?
विशाल