भांडणानंतर...

चाणक्य's picture
चाणक्य in जे न देखे रवी...
25 Oct 2013 - 6:20 pm

खोटेच आहे रागावणे, तुझेही अन् माझेही
तोंड फिरवून झोपणे, तुझेही अन् माझेही

अबोला जरी धरून, आसमंत आज सारा
अस्वस्थ मनाशी बोलणे, तुझेही अन् माझेही

कोण चुकले कोठे, जाणतो मनी दोघेही
माघार परी न घेणे, तुझेही अन् माझेही

घन बरसत आला होता, त्या कोणी ना पाहीले
सांग कसे हे वागणे, तुझेही अन् माझेही

अंगार निवता जरा, स्वत:शीच हासून मग
ते विषय बोलण्या शोधणे, तुझेही अन् माझेही

- चाणक्य
२०/१०/२०१३

मराठी गझलगझल

प्रतिक्रिया

मदनबाण's picture

25 Oct 2013 - 8:15 pm | मदनबाण

वा... सुरेख ! :)

पैसा's picture

25 Oct 2013 - 8:30 pm | पैसा

क्या बात है!

अत्रुप्त आत्मा's picture

25 Oct 2013 - 8:56 pm | अत्रुप्त आत्मा

क्या बात...! क्या बात...! क्या बात...!
सलाम! :)

भावना कल्लोळ's picture

26 Oct 2013 - 2:47 pm | भावना कल्लोळ

मस्त

मुक्त विहारि's picture

26 Oct 2013 - 3:35 pm | मुक्त विहारि

मस्त...

कवितानागेश's picture

26 Oct 2013 - 4:18 pm | कवितानागेश

फारच छान. :)

बहुगुणी's picture

26 Oct 2013 - 9:15 pm | बहुगुणी

किमान शब्दांत कमाल आशय.

इन्दुसुता's picture

27 Oct 2013 - 8:51 am | इन्दुसुता

रचना खूप आवडली.

प्रभाकर पेठकर's picture

27 Oct 2013 - 10:52 am | प्रभाकर पेठकर

नि:शब्द संभाषण. भावनांचा कल्लोळ. मोजकेच शब्द परंतु डोंगराएवढा, वस्तुनिष्ठ, आशय.
आवडली कविता. मला तर माझीच भावना कोणीतरी व्यक्त केल्यासारखी वाटली. घरोघर मातीच्या चुली.

पाषाणभेद's picture

27 Oct 2013 - 2:45 pm | पाषाणभेद

+१ मोजकेच शब्द परंतु डोंगराएवढा, वस्तुनिष्ठ, आशय.
एकदम जबरदस्त काव्य. चाण्यक्या तू जिंकलास!! हा चंद्रगुप्त तुझ्यावर खुष आहे. काय मागायचे ते मागून घे. संकोच नको!

चाणक्य's picture

27 Oct 2013 - 5:27 pm | चाणक्य

पायधूळ झाडलीत, अजून काय पाहिजे पाभे. :-) धन्यवाद.

प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे's picture

27 Oct 2013 - 4:34 pm | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे

सुरेख.

-दिलीप बिरुटे

शैलेन्द्र's picture

27 Oct 2013 - 5:36 pm | शैलेन्द्र

सुंदर रचना :) खुप आवडली

धमाल मुलगा's picture

28 Oct 2013 - 4:42 am | धमाल मुलगा

जियो!
हा आमचा चाणक्य मधूनच कधीतरी लिहून जातो, पण काय सुंदर लिहितो पठ्ठ्या. :)

मिसळलेला काव्यप्रेमी's picture

28 Oct 2013 - 8:55 am | मिसळलेला काव्यप्रेमी

अबोला जरी धरून, आसमंत आज सारा
अस्वस्थ मनाशी बोलणे, तुझेही अन् माझेही

यासाठी तुला एक मस्तानी लागू...

सुधीर's picture

28 Oct 2013 - 10:15 am | सुधीर

सुंदर! आवाडली कविता.

रुमानी's picture

28 Oct 2013 - 10:49 am | रुमानी

आवडली. :)

ब्रिज's picture

28 Oct 2013 - 11:34 am | ब्रिज

मस्तच लिहिले आहे.

प्यारे१'s picture

28 Oct 2013 - 1:15 pm | प्यारे१

भन्नाटच.
चाणक्यरावांना एक पार्टी लागू!

वेल्लाभट's picture

29 Oct 2013 - 10:52 am | वेल्लाभट

आहाहाहाहाहा!
क्या बात है ! सुरेखच! सुरेख!

विअर्ड विक्स's picture

29 Oct 2013 - 11:17 am | विअर्ड विक्स

सुरेख कविता...

सार्थबोध's picture

29 Oct 2013 - 11:21 am | सार्थबोध

झकास

हरवलेला's picture

31 Oct 2013 - 7:42 pm | हरवलेला

:)