संदीप डांगे in जे न देखे रवी... 29 Nov 2015 - 1:27 am उन्हाची होती बंदी ती सावली कुणाची होती संधी ती सावली ढग एक नाराज झाला होता त्याचीच होती रुंदी ती सावली सूर्य धराया धावला जेव्हा भयकारी मग आक्रंदी ती सावली गर्जना काही ऐकल्या मशालींच्या मनाची होती तटबंदी ती सावली कविता प्रतिक्रिया (एकाला जांभई आली की दुसर् 29 Nov 2015 - 1:36 am | संदीप डांगे (एकाला जांभई आली की दुसर्यालाही यायला लागते... तसलाच काही प्रकार झालाय) :):):) 29 Nov 2015 - 8:40 am | दमामि :):):) महाकाव्य! 29 Nov 2015 - 9:03 am | DEADPOOL महाकाव्य! आवडली कविता. 29 Nov 2015 - 9:17 am | मांत्रिक आवडली कविता. संदीपभाऊ 29 Nov 2015 - 10:43 am | चांदणे संदीप आवडली कविता! छान !! .. फक्त शेवटच्या दोन 29 Nov 2015 - 12:55 pm | जेनी... छान !! .. फक्त शेवटच्या दोन ओळींचा संधर्भ आधीच्या ओळींशी लागेना .. कुणी समजुन सांगितलं तर उत्तम ... छान कविता. 'संधी' या 29 Nov 2015 - 1:51 pm | एस छान कविता. 'संधी' या शब्दापाशी थोडासा अडखळलो होतो. वा! 1 Dec 2015 - 10:47 am | वेल्लाभट वा! +१ 1 Dec 2015 - 5:27 pm | नाखु डांगेभाऊची सावली !! आम्हालाबी भावली !! अखिल मिपा जेपी सत्कार महांमंडळ, चिमण हटेला गँग यांच्या संयुक्त विद्यमाने "चोरोळी पेक्षा चारोळीत आट्पा" अभियान अंतर्गत मिपा साहित्य साक्षरता आणि कळ निवारण मोहिमेचा एक कार्यक्रम.
प्रतिक्रिया
29 Nov 2015 - 1:36 am | संदीप डांगे
(एकाला जांभई आली की दुसर्यालाही यायला लागते... तसलाच काही प्रकार झालाय)
29 Nov 2015 - 8:40 am | दमामि
:):):)
29 Nov 2015 - 9:03 am | DEADPOOL
महाकाव्य!
29 Nov 2015 - 9:17 am | मांत्रिक
आवडली कविता.
29 Nov 2015 - 10:43 am | चांदणे संदीप
आवडली कविता!
29 Nov 2015 - 12:55 pm | जेनी...
छान !! .. फक्त शेवटच्या दोन ओळींचा संधर्भ आधीच्या ओळींशी लागेना ..
कुणी समजुन सांगितलं तर उत्तम ...
29 Nov 2015 - 1:51 pm | एस
छान कविता. 'संधी' या शब्दापाशी थोडासा अडखळलो होतो.
1 Dec 2015 - 10:47 am | वेल्लाभट
वा!
1 Dec 2015 - 5:27 pm | नाखु
डांगेभाऊची सावली !!
आम्हालाबी भावली !!
अखिल मिपा जेपी सत्कार महांमंडळ, चिमण हटेला गँग यांच्या संयुक्त विद्यमाने "चोरोळी पेक्षा चारोळीत आट्पा" अभियान अंतर्गत मिपा साहित्य साक्षरता आणि कळ निवारण मोहिमेचा एक कार्यक्रम.