खाण्याला उपमा नाही

मूखदूर्बळ's picture
मूखदूर्बळ in जे न देखे रवी...
7 Apr 2009 - 4:32 pm

मूळ गीत : प्रेमाला उपमा नाही )
गीत - जगदीश खेबुडकर
संगीत - प्रभाकर जोग
स्वर - अनुराधा पौडवाल, सुरेश वाडकर
चित्रपट - कैवारी (१९८१)
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मी कसा टाळू हा शेट्टी, ते गत जन्मीचे देणे
खाण्याला 'उपमा' नाही हे ऊडप्याकडचे खाणे

मळकेपण पिउनी ओले
कपांचे कटिंग झाले
मी व्यथा फुल्पात्र का शोधू, हे 'फूल' म्हणू की 'अर्धे'

टमाटांची लेऊन प्युरी
हे क्रीम ओघळे खाली
मी कशी ओळखू जादू, हे पनीर म्हणू की छोले

का पित्ताने माथे विटती
खर्जात मग ढेकर उठती
मी कशी भावना बोलू, हे उदरभरण असे का गिळणे ?
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चु भू द्या घ्या

विडंबनविरंगुळा

प्रतिक्रिया

सूहास's picture

7 Apr 2009 - 4:37 pm | सूहास (not verified)

सुहास

पाषाणभेद's picture

7 Apr 2009 - 4:39 pm | पाषाणभेद

मस्त जमलीय
- पाषाणभेद

चिरोटा's picture

7 Apr 2009 - 5:05 pm | चिरोटा

मस्त आहे."हे उदरभरण असे का गिळणे ?" ही ओळ जरा लाम्बतेय असे वाटते.
भेन्डि
क्ष्^न + य्^न = झ्^न

नरेश_'s picture

7 Apr 2009 - 5:24 pm | नरेश_

मस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्त.

जो कधीच झिंगत नसतो , तो बहुधा कधीच पीत नसतो ;)

मूखदूर्बळ's picture

8 Apr 2009 - 12:00 pm | मूखदूर्बळ

धन्यवाद :)

सँडी's picture

8 Apr 2009 - 12:11 pm | सँडी

मस्तच!

-सँडी
एखादी गोष्ट विसरायला पण तिची आठवण ठेवावी लागते.

बेसनलाडू's picture

8 Apr 2009 - 12:13 pm | बेसनलाडू

भारी!
बाकी शेट्ट्याने छोले, पनीर वगैरेच्या भानगडीत पडू नये, हेच बरे :)
(पाश्चिमात्य)बेसनलाडू

चिरोटा's picture

8 Apr 2009 - 2:11 pm | चिरोटा

बेन्गळूरुमध्ये एका उपहारग्रुहात ' Bombay Bada Pav' (वडा पाव) असा मेनू आयटम होता.
क्ष्^न + य्^न = झ्^न