मयुरMK in जे न देखे रवी... 21 Nov 2015 - 9:04 pm मी न कवी, न लिहणे माझा पेशा जीवनी कधी रमता, कधी उदास होता छंद म्हणोनी खेळतो खेळ हा शब्दांचा छंदातुनी जन्म या कवितांजलीचा . मुक्तक प्रतिक्रिया छंदातूनच छंदोबद्ध कविता तयार 22 Nov 2015 - 6:35 am | शिव कन्या छंदातूनच छंदोबद्ध कविता तयार होतात. ही पण छान जमलीय. मिपा धोरणानुसार चारोळी टाकू नयेत. पूर्ण लांबीची कविता टाकत चला. स्वागत . हो 22 Nov 2015 - 9:45 am | मयुरMK उद्यापासून पूर्ण कविता टाकत जाईन. धन्यवाद आज अर्धीच झाली का? 22 Nov 2015 - 10:21 am | अत्रुप्त आत्मा आज अर्धीच झाली का? काव्यजुलाब.... 22 Nov 2015 - 11:05 am | परिकथेतील राजकुमार काव्यजुलाब....
प्रतिक्रिया
22 Nov 2015 - 6:35 am | शिव कन्या
छंदातूनच छंदोबद्ध कविता तयार होतात.
ही पण छान जमलीय.
मिपा धोरणानुसार चारोळी टाकू नयेत.
पूर्ण लांबीची कविता टाकत चला.
स्वागत .
22 Nov 2015 - 9:45 am | मयुरMK
उद्यापासून पूर्ण कविता टाकत जाईन. धन्यवाद
22 Nov 2015 - 10:21 am | अत्रुप्त आत्मा
आज अर्धीच झाली का?
22 Nov 2015 - 11:05 am | परिकथेतील राजकुमार
काव्यजुलाब....