ये जेवण है, इस जेवण का....

बाजीगर's picture
बाजीगर in जे न देखे रवी...
1 Jan 2021 - 11:31 am

ये जेवण है, इस जेवण का
यही है, यही है, यही है रंगरूप
थोडी कम हैं, थोड़ी रोटीयाँ
यही है, यही है, यही है पाव सूप

ये ना कोसो, इसमें अपनी, मार है के पीट है
उसे दफना लो जो भी, जेवण की सीट है
ये स्वीट छोड़ो, यूं ना तोड़ो, हर फल इक अर्पण है
ये जेवण है, इस जेवण का...

धन से ना धनिया से, तूर ते ना गवार से
दासों को घोर बंदी है, भरते के प्यार से
बनिया लूटे, पर ना टूटे, ये कैसा लंघन है
ये जेवण है, इस जेवण का...

विडंबन

प्रतिक्रिया

माईसाहेब कुरसूंदीकर's picture

1 Jan 2021 - 5:24 pm | माईसाहेब कुरसूंदीकर

आवडले रे विडंबन बाजीगरा. जरा हेच पुढे घेउन-
जेवण रे भरी तेरी बाते, मजबूर करे जेवणे के लिये, जेवणे के लिये.
हम सब भी तरसते रहते है, आम का रस पीने के लिये...
जेवण से भरी तेरी बाते...
खीर बनाये क्या कोई, कोई बनाये बैंगन भरता...
न्या पुढे आता...

जेवण मे करी तेरी तीखी
मजबूर करे जेवणे के लिये जेवणे के लिये
भाकर भी तरसती रहती हैं
तेरे सूप का रस पीने के लिये पीने के लिये
जेवण मे करी तेरी तीखी

बस खीर बनाये क्या कोई
क्या कोई चखे तुझसे पपिता
गंजो भंडों में समाएगी
गंजो भंडों में समाएगी
किस तरह से इतनी 'तंदूर'ता तंदूर'ता
एक कडकणी है तू तील के लिये
एक नान है तू खाने के लिये खाने के लिये
जेवण में करी तेरी तीखी

वनदेवी कि तु हिंग है साँसों में
तवों में रुमाली की कोमलता
गिरणी का सूजी है सेगरी पे
गिरणी का सूजी है सेगरी पे
फिरनी की है तुझ में 'मनचल'ता 'मनचल'ता
चाशनी का तेरे एक धार बहुत
कोई छाँस इधर पीने के लिये पीने के लिये
जेवण में करी तेरी तीखी
मजबूर करे जेवणे लिये जेवणे लिये
जेवण में करी तेरी तीखी

सरिता बांदेकर's picture

1 Jan 2021 - 6:19 pm | सरिता बांदेकर

मस्त

बाप्पू's picture

1 Jan 2021 - 8:30 pm | बाप्पू

मस्त जमलंय..

दुर्गविहारी's picture

1 Jan 2021 - 11:10 pm | दुर्गविहारी

भारी ! :-)))

प्राची अश्विनी's picture

3 Jan 2021 - 2:37 pm | प्राची अश्विनी

:):)

ज्ञानोबाचे पैजार's picture

4 Jan 2021 - 8:48 am | ज्ञानोबाचे पैजार

दोन्ही पदार्थ लैच टेश्टी झाले आहेत.
पैजारबुवा,

बाजीगर's picture

5 Jan 2021 - 2:17 am | बाजीगर

धन्यवाद पैजार बुवा.

आनन्दा's picture

5 Jan 2021 - 8:26 pm | आनन्दा

कल्पना अवडली.

राघव's picture

7 Jan 2021 - 12:09 pm | राघव

मस्त! दोन्ही रचना भारी आहेत!

बाकी एक ते आठवलं यावरून - "जेवणात ही कढी अशीच राहू दे.." :-)

जेवणात ही कढी अशीच राहू दे
शिटीत्या झाल्यावरी पंगत मांडू दे

रंगविले मी मनात चित्रान्ना खाणे
आवडले वडीला अपने तळणे
आपणातील रांधवा दिवस लाभू दे

तळूच तुला बघ खाण्याचा कांदा आगळा
भज्जीचा त्याविण का अर्थ वेगळा
हर्षातुन अंग अंग धूंद, होऊ दे

खाऊ दे असेच मुला नित्य आ वासता
जाऊ दे, असाच डाळ भात घे स्व:ता
गिळण्याचे खाजगीत मान्य होऊ दे

राघव's picture

21 Jan 2021 - 8:05 pm | राघव

हेही भारीये!!

श्रीरंग_जोशी's picture

21 Jan 2021 - 4:44 am | श्रीरंग_जोशी

खरपूस भाजली गेली आहेत विडंबने :-) .

कंजूस's picture

21 Jan 2021 - 5:57 am | कंजूस

टणक सलाड ते
आणि पांढऱ्या पाण्यातले ते स्पंजाचे गोळे
भज्यांचा चुरा अन पनीरचा उंधियो
बरा तो नाक्यावरचा वडापाव