सकाळीच लवकर उठलो. खबदाडीमधून किलकिल्या डोळ्यांनी इकडे तिकडे पाहिलं.रात्रीच्या प्रकाराची कुठलीही खूण आजूबाजूला दिसत नव्हती.
काल तो जमाव हातात काठ्या-दगड घेऊन मागे लागला होता.त्यांच्या हाती सापडलो असतो तर तिथेच ठेचलं असतं त्यांनी…. थोडीशी भूक लागली होती म्हणून एक पाव पळवला दुकानातून.
कुठूनसं आणलं गेलं होतं इथे... तो बरोबर असताना असं नव्हतं… हेच लोक माझ्यावर खूष असायचे. अर्थात तो काही सरळपणे देत नव्हताच मला.तो म्हणेल तसंच वागायचं…कंटाळलो सगळ्याला ….
पळून जावंसं वाटलं म्हणून पळालो…अजूनही पळतोय …पण जाऊ तरी कुठे?
आता तो भेटेल की नाही देव जाणे…
अरे…हे समोर काय दिसतंय ?
हो … तोच…पण असा का ??
प्रतिक्रिया
5 Aug 2015 - 11:23 pm | प्यारे१
? हे शब्द माणसाच्या तोंडचे नाही वाटत. बहुतेक कुत्रा वगैरे.
उत्सुकता वाढली आहे त्यामुळे
+१
5 Aug 2015 - 11:26 pm | एस
कुत्राबित्रा नसावा. कुत्र्याच्या मागे जमाव असा लाठ्याकाठ्या घेऊन लागणार नाही.
5 Aug 2015 - 11:28 pm | बहुगुणी
उत्सुकता वाढवली आहे..
6 Aug 2015 - 2:34 am | damn
बहुतेक अस्वल किंवा माकड असावे
7 Aug 2015 - 5:11 pm | माम्लेदारचा पन्खा
तब तक इंतजार !!
6 Aug 2015 - 6:55 am | जेपी
+1
6 Aug 2015 - 8:41 am | प्रीत-मोहर
+१
6 Aug 2015 - 8:46 am | असा मी असामी
+१
6 Aug 2015 - 8:50 am | कैलासवासी सोन्याबापु
+१
6 Aug 2015 - 8:54 am | मुक्त विहारि
+१..कथेसाठी
आणि
दुसरा +१, पुढच्या भागाच्या उत्सुकतेसाठी...
6 Aug 2015 - 9:00 am | बोका-ए-आझम
+१
6 Aug 2015 - 9:03 am | खटपट्या
+१
पु.भा.प्र.
6 Aug 2015 - 9:41 am | टवाळ कार्टा
+१
6 Aug 2015 - 9:43 am | सदस्यनाम
+१
पीके आहे काय?
6 Aug 2015 - 9:44 am | नाव आडनाव
+१
6 Aug 2015 - 9:48 am | नाखु
+१
6 Aug 2015 - 11:37 am | चिगो
बढीया..
6 Aug 2015 - 11:44 am | जडभरत
+१
6 Aug 2015 - 1:04 pm | मी-सौरभ
ईंटरेस्टींग
6 Aug 2015 - 1:07 pm | मृत्युन्जय
+१
6 Aug 2015 - 1:45 pm | माझीही शॅम्पेन
+१
6 Aug 2015 - 1:52 pm | तुमचा अभिषेक
अर्थात तो काही सरळपणे देत नव्हताच मला.तो म्हणेल तसंच वागायचं… >>> मदार्याचे माकड
रात्रीच्या प्रकाराची कुठलीही खूण आजूबाजूला दिसत नव्हती. >>> आणि या प्रकाराची उत्सुकता :)
6 Aug 2015 - 2:57 pm | पाटील हो
+१
6 Aug 2015 - 4:06 pm | सानिकास्वप्निल
+१
6 Aug 2015 - 6:56 pm | जगप्रवासी
+१ सिक्वेल साठी उत्सुक
6 Aug 2015 - 7:11 pm | प्राची अश्विनी
+१
6 Aug 2015 - 7:54 pm | विवेकपटाईत
+१
6 Aug 2015 - 8:36 pm | अंतु बर्वा
+१
6 Aug 2015 - 8:38 pm | पैसा
+१
मस्त!
6 Aug 2015 - 9:23 pm | उगा काहितरीच
+१ , पण कथा अपूर्ण वाटत आहे. शतशब्दकथेची खरी ताकद १०० शब्दात पूर्ण कथा ! (अर्थात माझ्या अल्पमतीप्रमाणे)
7 Aug 2015 - 5:21 pm | gogglya
+१
7 Aug 2015 - 5:23 pm | बबन ताम्बे
+१
7 Aug 2015 - 8:22 pm | बहिरुपी
+१
8 Aug 2015 - 5:17 am | अत्रुप्त आत्मा
+१
8 Aug 2015 - 7:34 am | इशा१२३
+१
8 Aug 2015 - 11:13 am | नूतन सावंत
+१.
8 Aug 2015 - 2:23 pm | कॅप्टन जॅक स्पॅरो
+१
9 Aug 2015 - 10:58 am | तीरूपुत्र
+१ पुढच्या भागाच्या प्रतिक्षेत.....