हसरतों का ज़नाज़ा..!

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Jayagandha Bhat... in जे न देखे रवी...
31 Oct 2020 - 1:10 pm

हसरतों का ज़नाज़ा...!

लुटा रही थी खुशियाँ,
मैं तो सारे जहाँ में,
सौगात कोई गम की,
मुझें भीख दे गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

दिल की मुराद लिखने,
बैठी थी नाजुक कलम से,
बेवफ़ाई की स्याही,
कोई उनपे गिरा गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

लिखे थे मैंने इम्तेहाँ,
बड़े लगनों-इमान से,
सफ़ल उन्हीं में मगर,
कोई गैर हो गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

जुड़ी थी साँसे जिनसे,
मेरी ही जिंदगी की,
चुराके मुझसे उनको,
कोई मौत दे गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

मुझे मुहब्बत थी जिनसे,
जाँ से भी ज्यादा,
वो शख्स भी तो मुझसे,
रुठकर चला गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

मिलने से मेरी जिसके,
जिंदगी सँवर गई थी,
एक दिन अचानक उसे,
कोई और मिल गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

अरमाँ थे बड़े ही मुझको,
उनकी ही बंदगी के,
झोंका एक हवा का,
उन्हें भी बिखेर गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

आशियाँ मेरा किया था,
जिसने रोशन,
चिराग वही एकदिन,
उसको जला गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

पलकों का बिछाके दामन,
मिली थी खुशियाँ जिससे,
आँखें फेर अब वो,
मुझसे दामन छ़ुड़ा गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

पागल थी प्यार में जिसके,
सुदबुध भी खो गई थी,
ठुकरा के मुझको वही,
बिरहन बना गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

ऐसे ही ख्वाईशों की बस्ती,
विरान हो गई,
हर तमन्ना मेरी सपनों में सिमट गई,
हस्ती को मेरी मिटाकर,
वो सुपुर्दे खाक कर गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया....

जयगंधा..
२७-९ २०२०.

कविता

प्रतिक्रिया

महासंग्राम's picture

31 Oct 2020 - 2:03 pm | महासंग्राम

मराठीचा जनाजा

Jayagandha Bhatkhande's picture

31 Oct 2020 - 4:51 pm | Jayagandha Bhat...

२५ ऑक्टोबर २०२० रोजी, मिसळपाववर..
बात हुई ही नहीं । या नावाची कविता प्रसिद्ध झाली. तिच्या कौतुकाच्या संदर्भात अनेक प्रतिक्रिया वाचल्या. त्यामुळे माझा जरा गैरसमज झाला.. एवढचं.... क्षमस्व.

सतिश गावडे's picture

31 Oct 2020 - 2:54 pm | सतिश गावडे

माशा आल्या आणि परत गेल्या लगेच (मराठी संस्थळावर हिंदी कविता पाहून ;) )

Jayagandha Bhatkhande's picture

31 Oct 2020 - 4:53 pm | Jayagandha Bhat...

२५ ऑक्टोबर २०२० रोजी, मिसळपाववर..
बात हुई ही नहीं । या नावाची हिंदी कविता प्रसिद्ध झाली. तिच्या कौतुकाच्या संदर्भात अनेक प्रतिक्रिया वाचल्या. त्यामुळे माझा जरा गैरसमज झाला.. एवढचं.... क्षमस्व.

सतिश गावडे's picture

31 Oct 2020 - 5:24 pm | सतिश गावडे

मराठी संस्थळावर मराठीत लेखन अपेक्षित आहे. तुम्ही म्हणत आहात तशी हिंदी कवितेची वाहवा झाली असेल तर ते ही अपेक्षेच्या विपरीत आहे.

मात्र काही वेळा मिपाकर लेखकाचे नाव पाहूनही प्रतिसाद देतात. तुम्ही म्हणत आहात त्या कवितेच्या बाबतीतही तसेच झाले असेल. :)

सासंना (शीर्षका सकट) इथे पेस्ट करायला सांगा. तुम्हालाही मजा येईल.

बात हुई ही नही बद्दल तुमचा आक्षेप योग्य आहे

Jayagandha Bhatkhande's picture

31 Oct 2020 - 6:33 pm | Jayagandha Bhat...

कोणत्याही लेखन करणाऱ्या व्यक्ती विषयी मला नितांत आदर आहे.. नेहमीच असेल. पण एकाचे कौतुक, अन् दुसऱ्या कोणाचीही अवहेलना घडू नये.. हे निदर्शनास आणण्याचा मी एक सोपा प्रयत्न केला. तुमच्या सर्वांच्या सूचनांचा, मी सदैव आदर करेन. सहकार्याबद्दल धन्यवाद..!!

संजय क्षीरसागर's picture

31 Oct 2020 - 11:48 pm | संजय क्षीरसागर

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राघव's picture

31 Oct 2020 - 7:04 pm | राघव

आशियाँ मेरा किया था,
जिसने रोशन,
चिराग वही एकदिन,
उसको जला गया ।

चांगले लिहिले आहे. पुलेशु!

गोंधळी's picture

31 Oct 2020 - 9:13 pm | गोंधळी

+१*१......

बाजीगर's picture

5 Nov 2020 - 1:43 am | बाजीगर
बाजीगर's picture

5 Nov 2020 - 1:43 am | बाजीगर
गणेशा's picture

8 Nov 2020 - 2:02 pm | गणेशा

जुड़ी थी साँसे जिनसे,
मेरी ही जिंदगी की,
चुराके मुझसे उनको,
कोई मौत दे गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

मुझे मुहब्बत थी जिनसे,
जाँ से भी ज्यादा,
वो शख्स भी तो मुझसे,
रुठकर चला गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

मिलने से मेरी जिसके,
जिंदगी सँवर गई थी,
एक दिन अचानक उसे,
कोई और मिल गया ।
हसरतों का मेरी, ज़नाज़ा निकल गया..

आह.. अप्रतिम झालेय काव्य.. खुप आवडले...

Jayagandha Bhatkhande's picture

10 Nov 2020 - 12:54 pm | Jayagandha Bhat...

धन्यवाद