शिवकल्याण राजा ....

मनीषा's picture
मनीषा in जे न देखे रवी...
8 Aug 2008 - 9:29 am

"रायगडाला लाज आली ... " कारण आम्ही विसरलो !!!

ग्रहण सूर्यास लागे
पापभारे धरती डोले
अंधःकार घनघोर
पसरे पारतंत्र्याचा |

रयत दीन बिचारी
त्राही त्राही होई
जुलमी फौजा शाही
लुटती दिशा दाही |

मंदिरात देव नाही
वावरात माणुस नाही
आक्रोशे काळी आई
वैभवास वारस नाही |

गोमाता भयभीत
गृहलक्ष्मी चिंताक्रांत
घरधनी जाई रणी
रक्षिण्या तीज न कुणी |

अधर्म असा भयंकर
माजला हाहा:कार
म्लेंच्छास निर्दाळण्यास
अवतरी तारणहार |

म्लेंच्छास त्या मारीन
स्वराज्यास स्थापीन
शपथ घेसी तु
रायरेश्वरा स्मरुन |

ती नजर तुझी करारी
फिरे सह्याद्रीवरी
आतुर लावण्या भगवा
गडकोट किल्ल्यांवरी |

रणशिंग करी नाद
भगवा डोले गगनात
करी पराक्रमाची शर्थ
रणांगणी झुंझण्यात |

बादशाही थरारे
सिद्धी, गोरे नमले
जिंजीचेही राज्य जिंकीले
ध्वज स्वराज्याचा डोले |

छत्र धरे मस्तकी
वरदान भवानीचे हाती
स्वातंत्र्याचा गोंधळी
आईचा पोत नाचवी |

लेकी, सुना सुखावती
मातीतुन पिकती मोती
सुखाची वर्षा करी
गगन मस्तकावरी |

धन्य होई जिजामाता
सुखावे सारी प्रजा
सह्यगिरी हर्षित
तु शिवकल्याण राजा
तु शिवकल्याण राजा !!!

कविता

प्रतिक्रिया

घाटावरचे भट's picture

8 Aug 2008 - 9:35 am | घाटावरचे भट

--आपलेच (आणि घाटावरचे) भट...
उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य वरान्निबोधत ~ स्वामी विवेकानंद

यशोधरा's picture

8 Aug 2008 - 9:42 am | यशोधरा

सुरेख!

सर्किट's picture

8 Aug 2008 - 9:49 am | सर्किट (not verified)

खूपच छान कविता !

ही तुम्ही जालावरच प्रकाशित केली हे नकीच.

कृपया "जालकवी सम्मेलनासाठी" द्यावी ही विनंती.

- सर्किट

मनीषा's picture

10 Aug 2008 - 1:07 pm | मनीषा

" जालकवी सम्मेलनासाठी " ही कविता जरुर देईन .

मृगनयनी's picture

8 Aug 2008 - 2:42 pm | मृगनयनी

जबरदस्त!!!
अंग शहारले....
प्रसंग अक्षरशः.. डोळ्यांसमोर उभे राहिले.....

अजून येऊ द्यात......:)

स्वाती दिनेश's picture

8 Aug 2008 - 3:21 pm | स्वाती दिनेश

कवितारुपी भाष्य आवडले!
स्वाती

आनंदयात्री's picture

8 Aug 2008 - 3:27 pm | आनंदयात्री

काव्य खुपच छान आहे. रोमांचित करणारे.

शिंगाड्या's picture

8 Aug 2008 - 3:58 pm | शिंगाड्या

बुलंद काव्य!

प्राजु's picture

8 Aug 2008 - 4:50 pm | प्राजु

तोड नाही...
- (सर्वव्यापी)प्राजु
http://praaju.blogspot.com/

संदीप चित्रे's picture

8 Aug 2008 - 7:28 pm | संदीप चित्रे

खूपच आवडली कविता ... अगदे योग्य शब्द निवडले आहेत :)

विसोबा खेचर's picture

8 Aug 2008 - 11:02 pm | विसोबा खेचर

छत्र धरे मस्तकी
वरदान भवानीचे हाती
स्वातंत्र्याचा गोंधळी
आईचा पोत नाचवी

के व ळ सु रे ख...! अन्य शब्द नाहीत!

मनीषाताई, मनपूर्वक धन्यवाद! मिपाला वैभवशाली बनवणारं, दर्जेदार बनवणारं अतिशय सुरेख काव्य!

तात्या.

चतुरंग's picture

9 Aug 2008 - 3:05 am | चतुरंग

वाचून भारावलो!

नतमस्तक!!

चतुरंग

प्रियाली's picture

9 Aug 2008 - 3:48 am | प्रियाली

सुंदर काव्य.

बिपिन कार्यकर्ते's picture

9 Aug 2008 - 4:31 pm | बिपिन कार्यकर्ते

सुंदर काव्य.

काही कडवी वाचताना अक्षरशः ते दृश्य उभे राहिले डोळ्यांसमोर. खूपच सुंदर.

रणशिंग करी नाद
भगवा डोले गगनात

करी पराक्रमाची शर्थ
रणांगणी झुंझण्यात |

बिपिन.

चिन्या१९८५'s picture

10 Aug 2008 - 12:34 am | चिन्या१९८५

सुंदर्!!!भारच छान्.इतके चांगले काव्य लिहीण्यासाठी धन्यवाद.

पक्या's picture

10 Aug 2008 - 1:02 am | पक्या

वा सुरेख काव्य. आवडले.

मनीषा's picture

10 Aug 2008 - 1:11 pm | मनीषा

मनःपुर्वक आभार .

मदनबाण's picture

10 Aug 2008 - 7:52 pm | मदनबाण

फारच सुंदर....

म्लेंच्छास त्या मारीन
स्वराज्यास स्थापीन
शपथ घेसी तु
रायरेश्वरा स्मरुन |

हे फार आवडल..

मदनबाण.....

"First, believe in the world-that there is meaning behind everything." -- Swami Vivekananda

जाणत्या राजास विनम्र अभिवादन !

जाणत्या राजास विनम्र अभिवादन !

मिसळलेला काव्यप्रेमी's picture

19 Feb 2013 - 1:47 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी

शिवराय परत या....