आषाढी

अज्ञातकुल's picture
अज्ञातकुल in जे न देखे रवी...
22 Apr 2013 - 10:38 am

दाट दाटल्या जुन्या मैफिली काळ थांबला नाही
शरिर जाहले जीर्ण मनी साचल्या सावल्या कांही
बोल अबोलच आणि चाहुली पंख मिटून विदेही
टिपुर चांदणे चंद्राविण नभ अवसेचे संदेही

रूक्ष तरी शीतल वाटे एकांत दिशांना दाही
छाया पडछाया माळावर वृक्ष जरी न तिथेही
कोण सोसते पोसते सुखे घाव झेलते देही
आभाळ अंबरी आषाढी माया ममता कविता ही

..............................अज्ञात

अद्भुतरसकविता

प्रतिक्रिया

यशोधरा's picture

22 Apr 2013 - 10:50 am | यशोधरा

आवडली..

मिसळलेला काव्यप्रेमी's picture

23 Apr 2013 - 4:22 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी

सुरेख रचना.

वेल्लाभट's picture

23 Apr 2013 - 9:07 pm | वेल्लाभट

वाह ! क्य बात है

अत्रुप्त आत्मा's picture

24 Apr 2013 - 9:50 am | अत्रुप्त आत्मा

वाहव्वा........!

अज्ञातकुल's picture

5 May 2013 - 10:14 am | अज्ञातकुल

एखादा अतृप्त आत्मा तृप्त झाला की बरं वाटतं :)

अत्रुप्त आत्मा's picture

5 May 2013 - 6:22 pm | अत्रुप्त आत्मा

@अतृप्त आत्मा तृप्त झाला की बरं वाटतं>>> :) अ ज्ञात-cool ;)

विसोबा खेचर's picture

5 May 2013 - 10:29 am | विसोबा खेचर

सुंदर...