तेरा नाम ( हिंदी ऊर्दू कविता व भावानुवाद)
तेरा नाम कागज पे उतारनेसे
अब डरसा लगता है
तय-ब-तय सारी याँदे ऐसे
खुलने लगती है
जैसे दर्याने अपनी
पोटली से हर रंग कि
सिपीया निकालकर
किनारेपें बिछा दि हो
.
फिर एक एक सिपी
खेालते जाओ
एक एक याद पिरोते जाओ
देखते देखते वो एक बेहद खुबसूरत
माला बन जाती है
उसे गौरसे देखो तो
फिर तेरी यादे
घिर के आती है
....
तेरा नाम कागज पे
उतारने से अब डरसा लगता है
|- मिसळलेला काव्यप्रेमी-|
(२७/०६/२०१६)
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