नोटबंदीचे अभंग

भारी समर्थ's picture
भारी समर्थ in जे न देखे रवी...
30 Dec 2016 - 8:07 pm

एटीयमचिये द्वारी। उभा क्षणभरी।
तेणे पाचशेच्या चारी। मिळतीया।।

कार्ड चार हाती। स्लॉटमधे घासी।
निकडीची रोकड मग। निघतीया।।

रांगेत बहु जन। स्वतःचेच धन।
घामेजलेले तन। ताटकळ्या।।

ब्यांकेतही तेच। होई खेचाखेच।
शिव्या कचाकच। निघतीया।।

ऐसे शूराभिमानी। न देखिले कोणी।
तयांसी देशाभिमानी। म्हणतीया।।

एकच दिला धक्का। गुर्जर तो पक्का।
'मित्रों' ऐसी हाक। मारतोया।।

सुका म्हणे बास। किती रोखावे श्वास।
काय ३१ डिसेंबरास। करतोया???

- भारी समर्थ!

कवितामुक्तकविडंबनविनोदसमाजअर्थकारणराजकारण

प्रतिक्रिया

मदनबाण's picture

30 Dec 2016 - 8:11 pm | मदनबाण

भारी ! :)

मदनबाण.....
आजची स्वाक्षरी :- twenty one pilots: Heathens (from Suicide Squad: The Album) [OFFICIAL VIDEO]

संजय क्षीरसागर's picture

31 Dec 2016 - 12:03 am | संजय क्षीरसागर

महागाई मेली | जरा हटली नाही |
काढे शब्द वावगा तो | देशद्रोही ||

कार्डाचे चार्जेस | सोसा तुमचे तुम्ही |
आम्ही खेळू लॉटरी | नशीबाशी ||

बारासहस्त्र कोटी | छापण्यात गेले |
छापे घालून केली | घंटाकमाई ||

नव्या नोटांवर | पुन्हा तोच खेळ |
भ्रष्टाचार जोमानं | बोकाळला ||

मेले किती तरी | जरा खंत नाही |
याला म्हणती छाती | छप्पनइंच ||

चिगो's picture

2 Jan 2017 - 5:23 pm | चिगो

क्या बात हैं, सर.. व्वा. जबरा..

अभंग भारी जमलेयत, भारी समर्थ..

एस's picture

31 Dec 2016 - 10:30 am | एस

:-)

अभिजीत अवलिया's picture

31 Dec 2016 - 11:48 am | अभिजीत अवलिया

देशद्रोही कुठले. :)

रातराणी's picture

31 Dec 2016 - 2:12 pm | रातराणी

भारीच आहेत!

अत्रुप्त आत्मा's picture

31 Dec 2016 - 2:16 pm | अत्रुप्त आत्मा

ह्या ह्या ह्या! =))

सतिश गावडे's picture

31 Dec 2016 - 2:20 pm | सतिश गावडे

तेणे पाचशेच्या चारी। मिळतीया।।

चुकीची माहिती पसरवू नका. पाचशेच्या चार नोटा कुठल्याच एटीएम मध्ये मिळत नाहीत. एकच दोन हजाराची नोट मिळते.

विशुमित's picture

3 Jan 2017 - 9:56 am | विशुमित

यांचे अभंगाच्या पोथ्या इंद्रायणीत बुडवून टाका म्हणून धर्मपीठाचे फर्मान येईल.

तरी आम्ही टाळकरी टाळ कुटच राहणार..!!

विशुमित's picture

3 Jan 2017 - 9:58 am | विशुमित

"सुका म्हणे" विशेष आवडले.

सुका कोण आहे ?

संदीप डांगे's picture

3 Jan 2017 - 10:43 am | संदीप डांगे

एकतीसच्या संध्याकाळी| निघाला फुसका बार|
भक्त बसले अपेक्षा फार | लावूनिया||