(आम्हां न कळे नज़्म)

स्वामी संकेतानंद's picture
स्वामी संकेतानंद in जे न देखे रवी...
13 Dec 2016 - 10:15 am

आम्हां नकळे नज़्म, नकळेच शेर।
गझली बहर, नकळे आम्हां।।

काफिया की आधी, रदिफ म्हणावा।
मतला जुळावा नकळे आम्हां।।

कधी म्हणे सूट, कधी अपवाद।
शायरांचे वाद नकळे आम्हां।।

वज्न,रुक्न, जुज; लाम, गाफ आणि।
नकळेची वाणी गझलेची।।

स्वाम्या म्हणे माज मोकार करावा।
रतीब घालावा गझलांचा।।

- स्वामी संकेतानंद

अभंगविडंबनतंत्र

प्रतिक्रिया

खेडूत's picture

13 Dec 2016 - 10:57 am | खेडूत

वा!
मोक्कार आवडले काव्य.
रतीबाच्या प्रतिक्षेत..!

हाय कंबख़्त, तूने पी हि नहीं!!!

पैसा's picture

13 Dec 2016 - 12:27 pm | पैसा

कस्ला आहेस रे तू! बर्‍याच जणांची दुकाने बंद करशील अशाने!

अत्रुप्त आत्मा's picture

14 Dec 2016 - 6:07 am | अत्रुप्त आत्मा

+१
स्वामिज्जी दुत्त दुत्त आहेत!

स्वामिज्जी की म-हा... न रचनांए|

पदकि's picture

14 Dec 2016 - 7:32 am | पदकि

आवड्ली!

शार्दुल_हातोळकर's picture

14 Dec 2016 - 11:39 pm | शार्दुल_हातोळकर

लाजवाब हो.....