कचरापेटी - शतशब्दकथा

शब्दानुज's picture
शब्दानुज in जनातलं, मनातलं
21 Jul 2016 - 2:04 pm

सकाळची नेहमीची बेल वाजली. कचरापेटी घेऊन जाण्या-या बाईची ती रोजची वेळ होती. आज त्या कच-यापेटीतून खुपच कुबट वास येत होता. नाक दाबत तिच्या हातात कचरापेटी दिली. अगदी निर्विकार चेह-याने तिने ती क्षणात रिकामी करुन मला परत दिली. या प्रसंगाने विनाकारण मला उदास करून टाकले.
दुस-यादिवशी मी मुद्दाहुन ताजी फुले आणुन ती कचरापेटीत भरुन ठेवली. सकाळी जेव्हा मी तिला ती कचरापेटी दिली तेव्हा काहीही विचार न करता , न पहाता तिने ती पेटी तिच्याकडच्या एका मोठ्या डब्यात ओतली...
मग लक्ष्ात आले की आपल्याला कच-याची इतकी सवय झाली असते की त्यात फुले जरी पडलेली असली , तरी आपण कचरा समजून ती फेकून देत राहतो.

कथा

प्रतिक्रिया

आत्ताच्या कथेला अगदी तसेच झाले बघा.

राजाभाउ's picture

21 Jul 2016 - 3:06 pm | राजाभाउ

:) :)

बहुगुणी's picture

21 Jul 2016 - 7:47 pm | बहुगुणी

;-)

शित्रेउमेश's picture

22 Jul 2016 - 8:54 am | शित्रेउमेश

+११११११

जव्हेरगंज's picture

21 Jul 2016 - 6:23 pm | जव्हेरगंज

कल्पना चांगली आहे!
मांडणी बदलून मस्त पंची शशक होऊ शकेल!

बहुगुणी's picture

21 Jul 2016 - 7:46 pm | बहुगुणी

हे 'कथा कमी, सुंदर शिकवण आधिक' असं लिखाण आहे, कल्पना आवडलीच. (याची ग्रॅफिटी छान होईल, अभ्याने विचार करावा.)

Bhagyashri satish vasane's picture

22 Jul 2016 - 11:24 pm | Bhagyashri sati...

छान आहे

कचरे वाली की देखा तो ऐसा लगा....
जैसे उसको फुल दू, उसकी बाहे चुम लू
उससे बाते चार करु, उससे मुलाकाते करु,
उसको दिल मे बसाउ, दिलकी रानी बनाउ,
रोज कचरे के बहाने, उससे ऑखे चार करु, ओSSS ओSSS ओSSS
कचरे वाली की देखा तो ऐसा लगा....

कचरे वाली को देखा तो ऐसा लगा
जैसे सुबह की बेल, हो जाए रोज का ये खेल
जैसे डब्बे पे थाप, जैसे मनमे है आग,
जैसे बलखाये बास, और रोक लू मै सास,
जैसे बदबु लिये आये, रोज हवा, ओSSS ओSSS ओSSS
कचरे वाली की देखा तो ऐसा लगा....

कचरे वाली को देखा तो ऐसा लगा
उसका उडता पदर, उसपे मै हुवा गदर,
उसकी खनकती चुडी, लै मस्त है वो कुडी,
उसके मुखडेका नुर, उसका कुछ नही कसुर
उसका मंगलसुत्र देखा, तो उड गया नशा,
कचरेवाली ताई को देखा तो ऐसा लगा.... हाय हाय हाय…..
कचरेवाली ताई को देखा तो ऐसाSSS लगा

पैजारबुवा,

संदीप डांगे's picture

23 Jul 2016 - 10:56 am | संदीप डांगे

Arararar..... Kahar kahar kahar. Javed Akhtar gheri Yeun padal

अभ्या..'s picture

23 Jul 2016 - 10:56 am | अभ्या..

अयायायाय,
पैजारबुवांची अशी दहशत बसलीय नवकविना कि बस्स.
खत्तरनाक जेसीबी फिरवतेत. सगळे कसे भुईसपाट.

नाखु's picture

23 Jul 2016 - 3:05 pm | नाखु

फक्त एकच रणगाडा.....

एक्दा का कुणी रण काढायला सुरुवात केली की लगेच गाडा (पक्षी फकस्त राडा)

पैजारबुवा रणगाडे लगे रहो

नीलमोहर's picture

23 Jul 2016 - 3:09 pm | नीलमोहर

पैजारबुवा, हाईट आहे हो =)
नक्की काय खाता की हे असलं काही सुचतं :)

वटवट's picture

23 Jul 2016 - 10:44 am | वटवट

मस्त जमलिये...

Prajakta Sarwade's picture

12 Sep 2020 - 12:28 am | Prajakta Sarwade

मस्त लिहिलंय!