उन्हाच्या सावलीत
सावलीतल्या उन्हात
कधीतरी वेडं मन भिजतं ना?
गप्पांच्या नादात
नादावल्या जगात
कुणीतरी गोलगोल फिरतं ना?
चहाच्या कपात
कपातल्या चहात
काहीतरी गोडगोड घडतं ना?
मनातल्या प्रश्नाचं
मनातलं उत्तर
केव्हातरी कुठंतरी मिळतं ना?
कसंतरी कुठंतरी
कुणीतरी केव्हातरी
कधीतरी प्रेमात पडतं ना?
पडतं ना?
प्रतिक्रिया
29 Oct 2020 - 9:04 am | प्रचेतस
क्या बात...!
एकदम मस्त.
29 Oct 2020 - 10:13 am | पाषाणभेद
वा छान उभारी देणारं काव्य!
30 Oct 2020 - 7:39 am | प्राची अश्विनी
प्रचेतस आणि पाषाणभेद.. धन्यवाद!:)
30 Oct 2020 - 1:13 pm | Jayagandha Bhat...
मस्त...!!
30 Oct 2020 - 3:19 pm | चांदणे संदीप
फर्मास! कविता आवडल्या गेली आहे.
सं - दी - प
30 Oct 2020 - 4:00 pm | माहितगार
अगदी फर्मास !
6 Nov 2020 - 11:50 am | प्राची अश्विनी
जयगंधा, चांदणे संदीप अन् माहितगार, खूप खूप धन्यवाद.
7 Nov 2020 - 11:22 am | Jayant Naik
उत्तम कविता . आपोआप घडल्यासारखी वाटते.
10 Nov 2020 - 1:48 pm | प्राची अश्विनी
धन्यवाद.
थोडी घडते, थोडी घडवली जाते.
:)
7 Nov 2020 - 1:17 pm | केदार पाटणकर
रचनेत गोडवा आहे.
8 Nov 2020 - 2:05 pm | गणेशा
साध्या सरळ शब्दांची छान कविता...
आवडली
8 Nov 2020 - 2:19 pm | बबन ताम्बे
कविता खूपच आवडली .
10 Nov 2020 - 1:48 pm | प्राची अश्विनी
धन्यवाद सर्वांनाच.
12 Nov 2020 - 12:05 pm | VRINDA MOGHE
छान काव्य
14 Nov 2020 - 11:18 am | rushikapse165
एकदम भारी!